14 May 2015

भाग्य से ज्यादा और समय से पहले न किसी को कुछ मिला है और न मिलेगा

एक सेठ जी थे...जिनके पास काफी दौलत थी और सेठ जी ने उस धन से निर्धनों की सहायता की..
अनाथ आश्रम एवं धर्मशाला आदि बनवाये...
इस दानशीलता के कारण सेठ जी की नगर में काफी ख्याति थी...
सेठ जी ने अपनी बेटी की शादी एक बड़े घर में की थी...
परन्तु बेटी के भाग्य में सुख न होने के कारण उसका पति जुआरी, शराबी, सट्टेबाज निकल गया...
जिससे सब धन समाप्त हो गया..
बेटी की यह हालत देखकर सेठानी जी रोज सेठ जी से कहती...
कि आप दुनिया की मदद करते हो...
मगर अपनी बेटी परेशानी में
होते हुए उसकी मदद क्यों नहीं करते हो...
सेठ जी कहते कि भाग्यवान...
जब तक बेटी-दामाद का भाग्य उदय नहीं होगा तब तक मैं उनकी कीतनी भी मदद करूं तो भी कोई फायदा नहीं...
जब उनका भाग्य उदय होगा तो अपने आप सब मदद करने को तैयार हो जायेंगे...
परन्तु मां तो मां होती है...
बेटी परेशानी में हो तो मां को कैसे चैन आयेगा...
इसी सोच-विचार में सेठानी रहती थी...
कि किस तरह बेटी की आर्थिक मदद करूं...
एक दिन सेठ जी घर से बाहर गये थे कि...
तभी उनका दामाद घर आ गया..
सास ने दामाद का आदर-सत्कार किया...
और बेटी की मदद करने का विचार उसके मन में आया कि क्यों न मोतीचूर के लड्डूओं में अर्शफिया रख दी जाये...
जिससे बेटी की मदद भी हो जायेगी...
और दामाद को पता भी नही चलेगा...
यह सोचकर सास ने लड्डूओ के बीच में अर्शफिया दबा कर रख दी...
और दामाद को टीका लगा कर विदा करते समय पांच किलों शुद्ध देशी घी के लड्डू जिनमे अर्शफिया थी...
वह दामाद को दिये...
दामाद लड्डू लेकर घर से चला..
दामाद ने सोचा कि इतना वजन कौन लेकर जाये क्यों न यहीं मिठाई की दुकान पर बेच दिये जायें..
और दामाद ने वह लड्डुयों का पैकेट मिठाई वाले को बेच दिया..
और पैसे जेब में डालकर चला गया...
उधर सेठ जी बाहर से आये तो उन्होंने सोचा घर के लिये मिठाई की दुकान से मोतीचूर के लड्डू लेता चलू ...
और सेठ जी ने दुकानदार से लड्डू मांगे ...
मिठाई वाले ने वही लड्डू का पैकेट सेठ जी को वापिस बेच दिया...
जो उनके दामाद को उसकी सास ने दिया थे...
सेठ जी लड्डू लेकर घर आये.. सेठानी ने जब लड्डूओ का वही पैकेट देखा..
तो सेठानी ने लड्डू फोडकर देखे अर्शफिया देख कर अपना माथा पीट लिया...
सेठानी ने सेठ जी को दामाद के आने से लेकर जाने तक और लड्डुओं में अर्शफिया छिपाने की बात सेठ जी से कह डाली...
सेठ जी बोले कि भाग्यवान मैंनें पहले ही समझाया था...
कि अभी उनका भाग्य नहीं जागा...
देखा मोहरें ना तो दामाद के भाग्य में थी...
और न ही मिठाई वाले के भाग्य में...
इसलिये कहते हैं कि भाग्य से
ज्यादा...
और...
समय..
से पहले न किसी को कुछ मिला है और न मिलेगा ।